एक तिरंगा मन में है और एक तिरंगा तन पर देश मेरे तेरा कितना क़र्ज़ा मेरे जीवन पर ऐसा हो कि तेरी ख़ातिर सब कुछ मैं कर जाऊं एक तिरंगा सीने पर रख चाहे फिर मर जाऊं -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal repub