किसी को चाहना भी नही, किसी का होना भी नही, बगैर इजाजत उसको कभी छूना भी नही, मैं समझता हूँ अपना सारा जहाँ उसको, उसके शहर-ए-दिल मे मेरे वास्ते एक कोना भी नही, मुझे आती है शर्म ये बताते तुमको, कि मर्दो के भी दुख होते है, मुझे अफसोस है कि जज़्बात रखता हूँ, मैं हंसने वाला कोई खिलौना भी नही......! हँसने वाला कोई खिलौना भी नहीं.....!