Alone शाम ढल गयी और मैं सोचता ही रह गया, मंजिल की तलाश मैं भागता ही रह गया, कुसूर मेरा इतना था दोस्तों, सबका जरिया बना आगे जाने का, औऱ खुद के लिए बस, मैं रास्ता ही रह गया। दिनेश जरिया