लग जाए कितना भी समय, केस को उसके अंजाम पर पहुंचाते हैं। मगर कभी- कभी हम गर्द उड़ा देते हैं , मजाक मजाक में ही सही, दो पक्षों को लड़ा देते हैं। बात तो कुछ भी नहीं होती है, मगर खींच कर तिल का ताड़ बना देते हैं। जब अपना साया भी साथ छोड़ देते है , तब हम अभियुक्त की परछाईं बन जाते हैं। ----------आनन्द ©आनन्द कुमार #वकील #वकील_साहब #अधिवक्ता #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi