ज़िन्दगी एक कर्ज है जिसकी अदायगी मौत की आखिरी द ह ली ज तक करनी है जो मिलते है वो अपने होते नहीं सिर्फ होने का हक अदा करते है सबकी मंज़िल एक ही है फिर भी रास्ते अलग है वक़्त जिसका है दुनिया उसकी है वक़्त रूठा तो खुद की परछाई भी साथ नहीं रहती जब तक जियो खुद की साए को ही महफूज़ समझो दूसरे का साया कभी उम्र तलक साथ नहीं होता मां जन्म दे सकती है मगर वो एहसास कभी नहीं देना चाहती जो ज़माने से मिलती है खुद की पहचान इतनी रखो की मौत जब आए लेने तो कर्ज की अदायगी पूरी हो जाए आखिरी सांस में ये कसक ना रहे ज़िन्दगी से कि थोड़ा वक़्त मिलता तो ये करता - अनिमेष मण्डल (दादा बनारसी)। #truth of life #Star