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तन्हाई है और खुद से रुसवाईयाँ भी बहुत हल्के हैं, द

तन्हाई है और खुद से रुसवाईयाँ भी
बहुत हल्के हैं, दिलों की गहराइयाँ भी
न रुके हैं ना थके हुए हम, बस चल रहे
जाना कहाँ,मंज़िल है क्या, क्यों है ये लापरवाही
भीगे हुए, तरबतर है गुस्ताखियाँ 'पारस'
और गम की दीवारों पे टंगी है खुशियाँ यहीं
ये आसमान और ज़मीन भी हैरान बहुत
सब कुछ है वजह और वजह, कुछ भी नहीं

©paras Dlonelystar
  और वजह कुछ भी नहीं
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