Nojoto: Largest Storytelling Platform

तुम्हे क्या लगता है तेरे जिस्म की ख्वाइश में तुम्ह

तुम्हे क्या लगता है
तेरे जिस्म की ख्वाइश
में तुम्हे याद करता हूँ
इस बार आना 
अपने देह को घर छोड़ कर
मेरे कमरे में बिस्तर
के सिवा और भी बहुत कुछ है
तुम्हे पता भी है
तेरी छोड़ी हुई एक पेन
तेरे नाम की पहली
अक्षर वाली रुमाल
मैंने अब तक सहेज रखा है
तुझे याद भी नही होगा
कितना कुछ छोड़ रखा है तूने
मेरे कमरे की हवाओ में वो खुशबू
आज भी है बिखरी पड़ी है
इस बार आना समेट ले जाना
लेकिन इसी बहाने आना जरूर
क्योंकि ये हमेशा मुझसे 
लिपटी रहती है
कई दफा कहा जाओ न
जिसकी हो उसी के पास
जाती ही नही 
कहती कर लो कोशिश
अब तुम ही अपनी महक
को समझाओ न
जानता हु जिद्दी है वो
तुम्हारी तरह

©ranjit Kumar rathour
  जिद्दी

जिद्दी #कविता

732 Views