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रचयिता :- डॉ. राज कुमार "राज" उ

रचयिता :- डॉ. राज कुमार "राज"
                   उदयपुर (राज.)            

            "जलवा रोशनाईयाँ"
               ===============

रूहें जुबां यह मेरी जिंदगी की गज़ल
रंगे महफिल में मुस्कानों के फसाने भी है,

गहराते घने बादल बिजली के सितम यूँ
सैलाबों में जो डूब गया यादों का खजाना है,

पीना जीना है कशिश रश्में रिवाज़ सनम
खलीश नशेमन की चिलमन में मर जाना है,

दामन रूठां है शाकी फिर आगोश में लो
हां हमसफर तनहाई तो मौत का हुआ बहाना है,

सदमे से लड़खड़ा गई आशियाने की दास्तां
ज़ख्म ज़िंदा हरा नासूर ज़िंदगी अब दिखावा है,

लम्हें भी दर्द मंद हालातों के हुए शिकार
गम से मेरी गुफ़्तगू ज़िक्र अफ़सोस का आमादा है,

इंतज़ार की घड़ियों में उलझी कश्ती की मंज़िलें
सात समंदर की जद्दोजहद कोशिशें किनारा है,

गर्दिशों के तूफ़ान भी नज्म मेरी औ सुख़न
देखी कहर की तस्वीरें दरियाँ में आंसू जियादा है,

लो अंधेरों के शहर में एक और भटका राहगीर
हाथों में चराग रोशन कितना काबिल ज़माना है,

फिर भी बड़ी अड़चने मेरी राहों में हमदम
इस मासूम नज़र को तो बला से गुजर के जाना है,

कुदरत का किस्सा क्या आसां रिश्ता भुलाना
ये दिल जिसे सींचता धड़कता नजराना है,

उल्फत के फ़रिश्ते एक दिन सितारों में आबाद
नज़ारा फलक का 'राज' रूहानी जमीं पर जलवा रोशनाईयाँ है।। #पराग
रचयिता :- डॉ. राज कुमार "राज"
                   उदयपुर (राज.)            

            "जलवा रोशनाईयाँ"
               ===============

रूहें जुबां यह मेरी जिंदगी की गज़ल
रंगे महफिल में मुस्कानों के फसाने भी है,

गहराते घने बादल बिजली के सितम यूँ
सैलाबों में जो डूब गया यादों का खजाना है,

पीना जीना है कशिश रश्में रिवाज़ सनम
खलीश नशेमन की चिलमन में मर जाना है,

दामन रूठां है शाकी फिर आगोश में लो
हां हमसफर तनहाई तो मौत का हुआ बहाना है,

सदमे से लड़खड़ा गई आशियाने की दास्तां
ज़ख्म ज़िंदा हरा नासूर ज़िंदगी अब दिखावा है,

लम्हें भी दर्द मंद हालातों के हुए शिकार
गम से मेरी गुफ़्तगू ज़िक्र अफ़सोस का आमादा है,

इंतज़ार की घड़ियों में उलझी कश्ती की मंज़िलें
सात समंदर की जद्दोजहद कोशिशें किनारा है,

गर्दिशों के तूफ़ान भी नज्म मेरी औ सुख़न
देखी कहर की तस्वीरें दरियाँ में आंसू जियादा है,

लो अंधेरों के शहर में एक और भटका राहगीर
हाथों में चराग रोशन कितना काबिल ज़माना है,

फिर भी बड़ी अड़चने मेरी राहों में हमदम
इस मासूम नज़र को तो बला से गुजर के जाना है,

कुदरत का किस्सा क्या आसां रिश्ता भुलाना
ये दिल जिसे सींचता धड़कता नजराना है,

उल्फत के फ़रिश्ते एक दिन सितारों में आबाद
नज़ारा फलक का 'राज' रूहानी जमीं पर जलवा रोशनाईयाँ है।। #पराग