चली गई वो मासूम अपने परिवार और इस बेदर्द संसार को छोड़, हो गई मूक अब वो, नही उसमे कुछ बचा और अंत मे माँ का आँचल लिया ओढ़, पर अभी उस माँ के सीने में दुग्ध की भांति आग लबरेज़ हो रही थी, सोच सोच उसकी याद को वो उसके आरोपी को सजा दिलाने की कसम ले रही थी, बहुत से नेताओं से मिली, मिली महान हस्तियों से, सब ने सुनी पर साथ न किसी ने दिया उड़ा दिया हवाओं में, सब शांत हो गए पूरे 7 साल बीत गये, सबने मिलकर उसकी पुण्यतिथि16 दिसम्बर को हर साल मोमबत्ती जला दिए, वक़्त के साथ सब भूलते गए औऱ उसकी रात की गहरी चीख दफ़न होती गई, हर समय एक चौकस सिपाही की भाँति ,माँ कोर्ट में जाती, बेटी के दोषियों को फाँसी की सजा की गुहार लगाती, पर उनके चाहनेवाले मक्कार देशद्रोही हर बार की तरह उन्हें बचा ले जाते, वो माँ नही हार मानी बेशक उसकी आँखो में था पानी, हर रात वो सुबक सुबक कर रोती याद कर उसकी दर्द कहानी, दोषियों को हर पल हर क्षण सजा दिलाने की ठानी, 7 साल तक वो कैसे सहन किया,सजा दिलानी थी ये उसकी थी मनमानी, Part-1 #हैवानियत #मासूमियत #निर्भया आज यह मासूम की बेदर्द कहानी" सत्य की जीत " कब जीत से पूरी हुई हैं मानो यह पार्ट-2 हैं पार्ट-1 कल के विषय आईना सा दिल मे किया।🙏🙏🙏