जाने किसके आने की राह देख रहा है, खुद अपनी ही आँखों में चाह देख रहा है! बनाया था तकिया कभी जिसे सोने के लिए, वो नहीं आयें है तो वो बाहं देख रहा है! जाते वक़्त पिछली दफा किया था लौटने का, पन्ने - पन्ने के कैलेंडर का वो माह देख रहा है! #kumaarsthought #माह #चाह #राह #बाह #पन्ने