कर न सका साबित कोई फिर भी मैं सच्चाई हूँ जिस्म नहीं कोई मेरा मैं कैसी परछाई हूँ जिसको मां ने खर्च किया मैं वो कमाई हूँ ©Parasram Arora लघु कविता