शीर्षक - कहाँ है मुझको प्यार किसी से --------------------------------------------- मैंने कमाई है यह दौलत, ताकि मुझको कभी नहीं हो कमी, किसी चीज की अपने लिए, और खरीद संकू हर चीज जरूरत की। यह महल जो बनाया है मैंने सिर्फ अपने आराम के लिए, ताकि कोई मुझको कह नहीं सके, कभी भी मुफ़लिस और तुच्छ, और जी सकूं जिंदगी अमीरों सी। किया है मैंने यहाँ प्यार भी, लेकिन किसी एक से ही नहीं, और निभाई नहीं वफ़ा किसी से भी, बदली है मैंने अपनी जुबां बार बार, बुझाने को अपने तन की प्यास को। लिखता रहा हूँ अब तक मैं, अपने वतन और चमन की तारीफ, देता रहा हूँ सभी को नसीहत, अपने वतन के लिए कुर्बान होने की, लेकिन बांटी नहीं मैंने कभी भी, अपनी ख़ुशी और दौलत किसी को, की है कोशिश हमेशा खुद को बचाने की, कहाँ है मुझको प्यार किसी से। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरूदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद तहसील एवं जिला - बारां (राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता🔥