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अकेले तन्हाईयों में रातें नहीं गुजरती ये मनहूस ज़

अकेले तन्हाईयों में रातें नहीं गुजरती 
ये मनहूस ज़िन्दगानी तो गुजारे नहीं गुजरती 
तुम आओ तो ज़रा इनको भी शुकूं मिल जाएगा 
इन आँखों से राते तो ग़ुजर जाती है मगर तेरी यादें नहीं गुजरती गुजारे नहीं गुजरती
अकेले तन्हाईयों में रातें नहीं गुजरती 
ये मनहूस ज़िन्दगानी तो गुजारे नहीं गुजरती 
तुम आओ तो ज़रा इनको भी शुकूं मिल जाएगा 
इन आँखों से राते तो ग़ुजर जाती है मगर तेरी यादें नहीं गुजरती गुजारे नहीं गुजरती

गुजारे नहीं गुजरती #शायरी