बढ़ जाता है जब कोलाहल चारों ओर, सुन नहीं पाती मैं खुद तक को, सत्य - असत्य सब लगते हैं शोर, किसकी सुनूं किसको कहूं क्या कहूं, और क्यूं कहूं,अब सवाल सारे छोड़, मन कहता है,चुपचाप गुजर जाओ, ज़िंदगी है, गुजरने दो अपनी गति से, रोको न टोको,बस यूंही गुजर जाओ। दुनिया कब सुनती है किसी की। इससे बेहतर है यही। चुपचाप गुज़र जाओ। #चुपचाप #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi