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कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही, मन अंदर ही अंदर ज

कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही,
मन अंदर ही अंदर जलता रहा,
जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही।

जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां,
खनक सिक्कों की उछालता रहा,
बात-बात पर बात सारी काटी जाती रही।

कैद में उड़ानों को अपनी जकड़ करें इब्तिदा..
मोल बस दाल बराबर आंकता रहा,
बरस भीतर की आग तन गलाती रही।

उम्र कटती रही, दिन बीते रात गुजरती रही,
मजबूर ताकता उम्मीद धरता गया,
पलके मूंद कफ़न कमाने की नौकरी रही। कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही,
मन अंदर ही अंदर जलता रहा,
जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही।

जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां,
खनक सिक्कों की उछालता रहा,
बात-बात पर बात सारी काटी जाती रही।
कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही,
मन अंदर ही अंदर जलता रहा,
जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही।

जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां,
खनक सिक्कों की उछालता रहा,
बात-बात पर बात सारी काटी जाती रही।

कैद में उड़ानों को अपनी जकड़ करें इब्तिदा..
मोल बस दाल बराबर आंकता रहा,
बरस भीतर की आग तन गलाती रही।

उम्र कटती रही, दिन बीते रात गुजरती रही,
मजबूर ताकता उम्मीद धरता गया,
पलके मूंद कफ़न कमाने की नौकरी रही। कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही,
मन अंदर ही अंदर जलता रहा,
जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही।

जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां,
खनक सिक्कों की उछालता रहा,
बात-बात पर बात सारी काटी जाती रही।
shree3018272289916

Shree

New Creator

कुछ इस तरह बेरुखी उसकी खाती रही, मन अंदर ही अंदर जलता रहा, जान उसकी.. कहे जमाना जाती रही। जहन में दम तोड़ती गुनाहों के उसकी बेड़ियां, खनक सिक्कों की उछालता रहा, बात-बात पर बात सारी काटी जाती रही। #yqdidi #कफन #musingtime #a_journey_of_thoughts #ajot_life