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Kulbhushan Arora
कभी इसके होते हो, कभी इसके होते हो, इसी में बीत रही जिंदगी, खुद के क्यूं नहीं होते हो? जो भी खुद का हुआ है, उसी के सब हुए है, बात समझे अगर तुम, कोई उलझन नही है।। Collab and share your thoughts... #collabwithme #shareyourthoughts #ajot_life #YourQuoteAndMine Collaborating with Shree
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एक आसरा ना तय हुआ एक रास्ता ना शह हुआ बदहवासी में बौखलाए चल रहे दस दिशाओं में, एक वायदा ना सम हुआ एक कायदा ना कम हुआ बेतरतीबी में बुदबुदाते बिताए जा रहें हैं शामें, भीतर गले, कुछ धुआं हुआ बहुत जले, कुछ मिला हुआ मेहरबानियों में कुम्हलाते गिन-गिन पल गुनगुना रहें! एक आसरा ना तय हुआ एक रास्ता ना शह हुआ बदहवासी में बौखलाए चल रहे दस दिशाओं में, एक वायदा ना सम हुआ एक कायदा ना कम हुआ बेतरतीबी में बुदबुदाते
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रह कर भी नहीं रहना बहुत बेचैन करता है... कतरा-कतरा लहू सूखना मन में कलेश भरता है... जाने किस संशय में घिरे तुम मानव, क्यों हारा है... सब कुछ समझने वाला हाथ जेब में डाल खड़ा है... हश्र और अंजाम क्या बता लाइलाज सा बौना बना है! रह कर भी नहीं रहना बहुत बेचैन करता है... कतरा-कतरा लहू सूखना मन में कलेश भरता है... जाने किस संशय में घिरे तुम मानव, क्यों हारा है...
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आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं, ले लगत लागत है अपरिहार्य... लत-रत जग क्षण-क्षण बौराये! आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं, ले लगत लागत है अपरिहार्य...
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हल्दी और धनिया हल्दी की हरियाली गई तब रंग आया धनिया धूप लगे तभी चटक स्वाद आया डिग्री तमाम उन फाईलों में सहेज आया जब-जब भूख लगी तो घर ही याद आया मां का लाड़ पिता का प्यार साथ आया उम्मीदों से भरे सपने फिर करार आया
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बना नमक का सौदागर , कभी दिन ढले आता है कभी सारी रात जगाता है, यह नमक का सौदागर, तकिए में मुंह दबा कर सिसक-कर फफक-फफक, ना जात इसकी है कोई, ना जाने जनाना या मर्दाना, ना पर्याय इसका कोई, सीमा के पीछे झूठा महकमा, खंजर धोखे सा जंगी-नुकीला, बरबस आहें जोड़े रखता, कभी आंखों के पीछे बहता, कालकूट से बहुत जहरीला, मन अंतर कर सब खोखला डस लेता कोई बन संपोला, कांटों सा कभी कांपे कण-कण, भालों सा कभी बांटे अंतर्मन। फितरत ऐसी दोहरी इसकी, पनपे पनौती बनकर सबकी, टटोलते जेब को, कभी जमीं को, सहलाते टूटा दिल रफ्ता रफ्ता! हां दबे पांव आता है ये "____'' और भीषण तबाही पिरो जाता!! #कौन ? बना नमक का सौदागर , कभी दिन ढले आता है कभी सारी रात जगाता है, यह नमक का सौदागर,
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सुनो ना.... प्रेम! कैसे कहूं कि तुम सिर्फ मेरे हो, तुम्हें पाने से ज्यादा जरुरी तुम्हारा होना है। मैं स्वार्थी नहीं। दासी से भाव रखें है जब प्यार देना हो, और पाने के समय सुर्यमुखी से, जिसे दिन के विघटन सी सामान्य जान पड़ती है विदाई। ऐसा नहीं कि बिछोह का दर्द नहीं होता है, ये मिलन की ख्वाहिशें है जो सुकून पर भारी पड़ती है। ये ख्वाहिशें टोह लेती है मन का हर अछूता कोना जो कहीं चुपचाप सोया हुआ हो। सरगोशियां इन हवाओं की सरसराहट बन अंबी और मोर के सुंदर छाप हृदय पटल पर गढ़ते जाते हैं। जैसै, तुम प्रेम हो, वो जो किसी स
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This or That 🤔 This or That ☯️☯️☯️☯️ Both sides of the coin are equally valuable. Similarly, both ends of thoughts are unavoidable, important and valid according to perspective. Love exists because we know that hatred is not taking us anywhere higher.
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वक्त से पहले सांझ का इंतजार ना करना अगर जो ना ठहरे, सुनो ऐतबार ना करना बेशकीमती रकम की गुंजाइश ना करना जो मुकर जाएं वक्त तो गुजारिश ना करना दरिया मेहनत से भरे तो आजमाइश करना पराई पहुंच की बेवजह नुमाइश ना करना मैं रुक राह ताकूंगा, रंजिशें ना तुम रखना बंदिशों में बंध कर ढंग रुसवाई ना करना भीड़ में चला, तन्हा रहा, अकेला ना करना, मैं भी समझता हूं, बेवजह सवाल ना करना। वक्त से पहले सांझ का इंतजार ना करना अगर जो ना ठहरे, सुनो ऐतबार ना करना बेशकीमती रकम की गुंजाइश ना करना जो मुकर जाएं वक्त तो गुजारिश ना करना दरिया मेहनत से भरे तो आजमाइश करना पराई पहुंच की बेवजह नुमाइश ना करना
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वो हूं जो कीचड़ में कद पाता, कीचड़ से ही अस्तित्व पाता, रुप लिए बहुत-बहुत इतराता, दलदली सड़े जल में उग जाता, रस, रंग, रौब सब उससे पाता, प्राण उसी जमे जल से पाता, मैं खिलने का ओहदा रखता, मैं खिलने का जज्बा रखता! Who says that one gets spoiled due to its surrounding?? Look at this mesmerizing beauty! 😍💖💖💖 Shree #a_journey_of_thoughts #ajot_life