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गम को पनाह दी तो ...क्यूँ खुशी के ना रहे बाँधे रखन

गम को पनाह दी तो ...क्यूँ खुशी के ना रहे
बाँधे रखने का हुनर था जिनमे.किसी के ना रहे

हथेली से जो छूटा..धुआँ धुआँ सा हो गया
जिनकी फ़ितरत राख सी है ,वो ज़मीं के ना रहे

गुजरते, पूछ लेता था ,अक्सर हाल  किनारो के
प्यास लगने पर,फिर क्यूँ .उस नदी के ना रहे

ज़माने से लड़ रहा था जो, उस इक  के ख़ातिर
वो इक..ज़माने के हो गये.. बस उसी के ना रहे

ख़बर है कि..मुक़दमा जीत गया है वो
मुलाक़ातों के ये सिलसिले,अब कभी के ना रहे

बस चंद पलो में ..सहर को पा ही लेगा  वो
रातभर संग जलने वाले तो.अब कहीं के ना रहे
@विकास

©Vikas sharma
  #Apocalypse मुकदमा
vickysharma3971

Vikas sharma

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#Apocalypse मुकदमा #लव

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