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तेरी इश्क़ की आग में मै भी जलना क्यों ना चाहूँ , त

तेरी इश्क़ की आग में मै भी जलना क्यों ना चाहूँ ,
तरसती होगी न अप्सरा परियाँ भी ,
तुझसे एक मुलाकात के लिए,
फिर मैं क्यों तेरे रंग में रंगना ना चाहूँ ,
आग से इश्क़ करके ये लकड़ी भी,
राख हो जाती है,गर
फिर भी जलती रहती है,
मैं भी झ लकड़ियाँ से इश्क़ करना सिखना चाहूँ..
मेरी जॉं मैं भी तुझसे इश्क़ करना चाहूँ...

©Pinki
  esk ki aag
rahulrahul7008

Pinki

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esk ki aag #शायरी

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