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जाने इसे कैद कहुँ या कहुँ रिहाई तेरी यादों मे ही र

जाने इसे कैद कहुँ
या कहुँ रिहाई
तेरी यादों मे ही
रोज़ शाम हो जाती है,
जाने इसे मौत कहुँ
या कहुँ जीवन
साँसो पर चलते हुए
रोज़ सुबह हो जाती है,
जानने की कोशिशों मे
तुझे ऐ अजनबी
कितने ही आगे गये
पर लौटने की खबर उनकी
अब तलक नहीं आयी है..

©Jai Pathak
  #jail