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किसीको किसी पर अब यकीन नहीं होता, मुझे तो इस बात प

किसीको किसी पर अब यकीन नहीं होता,
मुझे तो इस बात पर ही यकीन नहीं होता।

ख़त्म  हुयी  इंसानियत  इंसानों  में  जब से,
इल्ज़ाम क़त्ल का भी अब संगीन नहीं होता।

डर जाते हैं बच्चे  देखकर  ये क़त्लेआम,
काश कि, रगों का लहू  रंगीन नहीं होता।

ख़ुश रहते सब एक ही गोले की सीमा में,
अगर  गैलीलियो  का दूरबीन नहीं होता।

टूटे न होते ग़र ख़्वाब आंखों में रह-रहकर,
पानी कभी आंखों का नमक़ीन नहीं होता।

बदला न होता रंग पानी का ग़र अंगूर ने,
मैं भी कभी  मय का शौक़ीन नहीं होता।

बदल जाती है  काया, किस्मत और  सोंच सब,
किसने कहा पिता के जूतों में प्रोटीन नहीं होता। #किश्मत  #वैज्ञानिक #नमकीन  #पिता  #शौकीन
किसीको किसी पर अब यकीन नहीं होता,
मुझे तो इस बात पर ही यकीन नहीं होता।

ख़त्म  हुयी  इंसानियत  इंसानों  में  जब से,
इल्ज़ाम क़त्ल का भी अब संगीन नहीं होता।

डर जाते हैं बच्चे  देखकर  ये क़त्लेआम,
काश कि, रगों का लहू  रंगीन नहीं होता।

ख़ुश रहते सब एक ही गोले की सीमा में,
अगर  गैलीलियो  का दूरबीन नहीं होता।

टूटे न होते ग़र ख़्वाब आंखों में रह-रहकर,
पानी कभी आंखों का नमक़ीन नहीं होता।

बदला न होता रंग पानी का ग़र अंगूर ने,
मैं भी कभी  मय का शौक़ीन नहीं होता।

बदल जाती है  काया, किस्मत और  सोंच सब,
किसने कहा पिता के जूतों में प्रोटीन नहीं होता। #किश्मत  #वैज्ञानिक #नमकीन  #पिता  #शौकीन