हमारा तो रूठना भी कुछ नागवार गुज़रा, ज़िद्द की थी यूं कि मनाने वो आयेंगे, ना मनाने की उनकी भी ज़िद्द रह गई, कभी हम अधूरे रह गए, कभी दास्तानें अधुरी रह गई.. सुलग सुलग के कुछ पल बीते तो सही, पर उन रिश्तों में वो सलवटें ज़रा सी रह गई.. हमारा तो रूठना भी कुछ नागवार गुज़रा.. #yqhindi #poetry #शायरी #msj #हिंदी #रूठना #manana #msjquotes