कभी कभी हवा क्या -क्या कहती है , मिलकर आती है तुझसे और मेरे दिल को छु जाती है। तेरा अहसास है उसमे तेरी महक आती है , दिल के बंजर मे बदली सावन की छा जाती है। कभी समझो मेरे हालात तुम और मेरे हमदम , आंख भींग जाती है जब तेरी याद आती है । हवा के जैसे तुझमे घुल जाने की तमन्ना है बस तुम हो सामने और नये छंद बनाने के लिए कलम चल जाती है हवा कभी कभी क्या क्या कह जाती है