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अब मैं खुश रहती हूं, खुश होने की वजह नहीं ढ़ूंढ़ती

अब मैं खुश रहती हूं,
खुश होने की वजह नहीं ढ़ूंढ़ती।
जो गुजर गये या गुजर रहे
मुझे सांझ का सूरज सोचकर
उन लोगों में जिंदगी की सुबह नहीं ढ़ूंढ़ती।

©निम्मी की कलम से
  #मैं_और_जिंदगी