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वो मानते हैं जो चाहे वो उन्हें मिल जाये मैं चाहत

 वो मानते हैं जो चाहे वो उन्हें मिल जाये 
मैं चाहता हूं ये गुरूर उन्हें कुछ देर टिक जाये 

अनमोल थे इक वक्त हम भी उन्हें खबर हो
वो चाहते है कि हम बेमोल बिक जाये 

मेरी अकड़ का उन्हें अभी अंदाजा नहीं 
हम छुईमुई नहीं हवा चले और झुक जाये 

कान बहरे हुए तेरी तल्खियां सुन के 
तू आवाज दे मजाल है हम और रुक जाये 

आज बारात मेरी सितारों के बीच निकलेगी 
दुआ है चांद थोड़ी देर और छुप जाये

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  mante