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ज़मीर मर चुका जिनके हाथों में डोर है नाम क्या लूं

ज़मीर मर चुका जिनके हाथों में डोर है
नाम क्या लूं परखो चारो तरफ शोर है
रोज़ हादसों के आर्तनाद में कटती जिंदगी
क्या फर्क पड़ता पहरे पे खड़ा चोर है
ज़मीर मर चुका........
परिवार पूर्णतया संस्कार विहीन हो चुके
प्रगतिशीलता के नशे में न रात है न भोर है
प्रशासन राजनीतिज्ञों की कठपुतली है
न्याय व्यवस्था भी कितनी आत्म विभोर है
ज़मीर मर चुका.......
लुट रहा समाज चमत्कार के हाथों से
दर्द से कराहता हृदय सिसकता हर छोर है
जीवन समर्पित कर रहे लोग उन लोगों को
जो खुद लुट चुके "सुर्य" घृणित पोर पोर है
ज़मीर मर चुका.......

©R K Mishra " सूर्य "
  #डोर  Rama Goswami Ashutosh Mishra Neel Sethi Ji Puja Udeshi