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धन्य ती मित्रता ,धन्य थे वह मित्र सांदिपानी ऋषी वृ

धन्य ती मित्रता ,धन्य थे वह मित्र
सांदिपानी ऋषी वृंदावन आश्रम में सिख  रहे शिष्य दोन
एक थे नंदलाल और दुजे गरीब ब्राह्मण सुदामा,बालक नव्हे
करते थे काम मिलबाटके दे रही थी गुरूमैय्या
नहीं था फरक कुछ अमिरी-गरीबी में
हो गई शिक्षा एक दिन पुरी
चल बैठे शिष्य अपने घर 
खाके कसमे दोस्ती की
साथ निभायंगे उम्र भर
भगवान क्रिष्ण नगरी में 
अपने कर रहे थे राज
यहाँ वृंदापुरी में सुदामा जी गरीब हालत में,बाल-बच्चो में
एक दिन ऐसा आया पलट गयी पुरी काया
पत्नी ने कहा पास आ के
है मित्र आपके दयालू, परोपकारी,
क्यू नहीं जाते उनके धाम
मांगो मदद  कुछ उनसे जरूरी है हमे गरीब कहके
चल पडे सुदामा जी भगवान क्रिष्ण की नगरी और लिए संकोच
टाल सके ना बात पत्नी की,हातो में लिये पोटली पोहा की,था वह भाभी का प्यार
सुदामा जी पहुचे जब क्रिष्ण धाम रोका द्वारपाल ने
जा के भगवान क्रिष्ण को
द्वार पे खडा कोई गरीब ब्राह्मण कहत है नाम सुदामा
सुनकरे हर्ष से दौडे क्रिष्ण द्वार तक नंगे पैलू
दिया आलिंगन मित्रो ने खुशी में
धोए चरण उनके मिलके पती-पत्नी ने
भोजन करवाके मिठाया मित्र को पंलग पे
कहा क्रिष्ण भगवान ने क्या भेट है मित्र मेरे लिये
ना कह पाये सुदामा जी संकोच से लिये पोटली पोहा की हातो में
छिन ली क्रिष्ण भगवान ने बडे चाव से खाने लगे खुशी से भाभी का प्यार
लौट आए सुदामा जी वृंदापुरी कह ना पाए कुछ मित्र क्रिष्ण से
पत्नी मिली नगरी के द्वार पे खडी कर रही थी स्वागत की तयारी
पहचान ना सके मित्र सुदामा पत्नी दिख रही चिरयौवना कर रही कृपा माता लक्ष्मी जी
फिर आए विश्वकर्मा लिए आज्ञा भगवान क्रिष्ण की
अवतरीत करना था कुटीया को महलो में
पत्नी ने कहा पती हमारे है भिक्षुक खाते है दर-दर मांडके,चले गुजारा भिक्षुकी पे
 फिर भगवान ने दिया आदेश हर एक कुटीया को करो महलो में परीवर्तीत
सारी कुटीया बदल के हुई परीवर्तीत महलो में नर-नारी दिख रहै राजा-राणी,वृंदापुरी में सुदामा की नगरी में
मित्र चक्रधर ले रहे थे भगवान का नाम बोले आओ घर देखो और कमाल
सुदामा समज गए लिला भगवान की हमसे बोलते बोलते कर रहे थे यह सब काम
आए लौट कर जब वे घर 
देखा कुटीया की जगह हुआ है राजवाडा खडा
बच्चे,और पत्नी थे सुवर्ण जडीत अंलकांरो और वंस्त्र भूषण में मढे हुए
राजा आए नगरी के किया उनको राज्य बहाल,थी सब क्रिष्ण की लीला 
कहने लगे सुदामा आपको ही शोभा देता है राज्य सारा
राजा हुआ खुष बडा
राजदरबार में बनाया उनको विद्वान सलाहगार.

©Pratibha Kamble wish you happy Friendship Day

#Olympic2021
धन्य ती मित्रता ,धन्य थे वह मित्र
सांदिपानी ऋषी वृंदावन आश्रम में सिख  रहे शिष्य दोन
एक थे नंदलाल और दुजे गरीब ब्राह्मण सुदामा,बालक नव्हे
करते थे काम मिलबाटके दे रही थी गुरूमैय्या
नहीं था फरक कुछ अमिरी-गरीबी में
हो गई शिक्षा एक दिन पुरी
चल बैठे शिष्य अपने घर 
खाके कसमे दोस्ती की
साथ निभायंगे उम्र भर
भगवान क्रिष्ण नगरी में 
अपने कर रहे थे राज
यहाँ वृंदापुरी में सुदामा जी गरीब हालत में,बाल-बच्चो में
एक दिन ऐसा आया पलट गयी पुरी काया
पत्नी ने कहा पास आ के
है मित्र आपके दयालू, परोपकारी,
क्यू नहीं जाते उनके धाम
मांगो मदद  कुछ उनसे जरूरी है हमे गरीब कहके
चल पडे सुदामा जी भगवान क्रिष्ण की नगरी और लिए संकोच
टाल सके ना बात पत्नी की,हातो में लिये पोटली पोहा की,था वह भाभी का प्यार
सुदामा जी पहुचे जब क्रिष्ण धाम रोका द्वारपाल ने
जा के भगवान क्रिष्ण को
द्वार पे खडा कोई गरीब ब्राह्मण कहत है नाम सुदामा
सुनकरे हर्ष से दौडे क्रिष्ण द्वार तक नंगे पैलू
दिया आलिंगन मित्रो ने खुशी में
धोए चरण उनके मिलके पती-पत्नी ने
भोजन करवाके मिठाया मित्र को पंलग पे
कहा क्रिष्ण भगवान ने क्या भेट है मित्र मेरे लिये
ना कह पाये सुदामा जी संकोच से लिये पोटली पोहा की हातो में
छिन ली क्रिष्ण भगवान ने बडे चाव से खाने लगे खुशी से भाभी का प्यार
लौट आए सुदामा जी वृंदापुरी कह ना पाए कुछ मित्र क्रिष्ण से
पत्नी मिली नगरी के द्वार पे खडी कर रही थी स्वागत की तयारी
पहचान ना सके मित्र सुदामा पत्नी दिख रही चिरयौवना कर रही कृपा माता लक्ष्मी जी
फिर आए विश्वकर्मा लिए आज्ञा भगवान क्रिष्ण की
अवतरीत करना था कुटीया को महलो में
पत्नी ने कहा पती हमारे है भिक्षुक खाते है दर-दर मांडके,चले गुजारा भिक्षुकी पे
 फिर भगवान ने दिया आदेश हर एक कुटीया को करो महलो में परीवर्तीत
सारी कुटीया बदल के हुई परीवर्तीत महलो में नर-नारी दिख रहै राजा-राणी,वृंदापुरी में सुदामा की नगरी में
मित्र चक्रधर ले रहे थे भगवान का नाम बोले आओ घर देखो और कमाल
सुदामा समज गए लिला भगवान की हमसे बोलते बोलते कर रहे थे यह सब काम
आए लौट कर जब वे घर 
देखा कुटीया की जगह हुआ है राजवाडा खडा
बच्चे,और पत्नी थे सुवर्ण जडीत अंलकांरो और वंस्त्र भूषण में मढे हुए
राजा आए नगरी के किया उनको राज्य बहाल,थी सब क्रिष्ण की लीला 
कहने लगे सुदामा आपको ही शोभा देता है राज्य सारा
राजा हुआ खुष बडा
राजदरबार में बनाया उनको विद्वान सलाहगार.

©Pratibha Kamble wish you happy Friendship Day

#Olympic2021