नदी, जिसने बहना छोड़, रेगिस्तान होना स्वीकार किया, पीहर पर्वत की, गोद से बिछड़, सागर के बड़े घराने, ब्याही गयी वो, भाषाओं मे, बहने का अनुभव नही था, पास उसके, उसकी, भावनाओं के पर्यायवाची, विलोम हो गए, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #डेढ़_आखर_स्त्री नदी, जिसने बहना छोड़, रेगिस्तान होना स्वीकार किया, पीहर पर्वत की,