हर किताब कुछ कहती है युही नहीं पन्ने पलटता कोई हर मौसम कुछ कहता है युही नही वस्त्र बदलता कोई हर रात कुछ कहती है युही नहीं करवट बदलता कोई हर आवाज़ कुछ कहती है युही नही गौर से सुनता कोई हर ज़मीन कुछ कहती है युही नही घर बनाता कोई ।।।।। #कुछ #कहता #yqdidi