निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? पूजा लिखूँ या भक्ति लिख दूँ , ब्रह्मा लिखूँ या शक्ति लिख दूँ जन नही सकता सिवा तुम्हारे, पास नही . कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? माना कि ये लिखावट मुझसे है.. पर इस क़लम में ताक़त तुझसे है स्वीकार करो मेरी ह्रदय भावना अंतर्मन से निकली जो खुदसे है ! छोटा सा टुकड़ा हूँ तेरे ह्रदय का और पाया तो ये जीवन तुझसे है आदि का पता नही अनन्त प्रेम है तेरा माँ हर शब्द तो है तुझसे, क्या शब्द लिखूँ माँ ! ©ALOK Sharma...✍️ निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई शब्द हमारे !