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aloksharma5679
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ALOK Sharma

welcome to my profile ! Your encouragement gives us inner strength as inspiration in our creations. If you like my creations then please do give your valuable feedback.😊 All Quote Original Written By Me © ALOK SHARMA Writer

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ALOK Sharma

एक बात को एक सही बता रहा।
दूसरा बात  को ग़लत ठहरा रहा। 
तीसरा लगी आग में घी डाल रहा।
चौथा आग बुझाने के प्रयास में है। 

भीड़ खड़ी  बस  तमाशा देख रही।
दूर से अंजान बनी आँखे सेंक रही। 

बात भी कोई  देखो ऐसी ख़ास नही।
बढ़ गई जब तब कोई भी साथ नही।

सुलझाने की  बजाय, उलझे जा रहें।
और नई बातों के पत्ते खुलते जा रहें।

रिश्ते-नाते हों या हो  बात आपसदारी की।
बात बढ़ती है जब बात हो दुनियादारी की।

सभी का अपना अपना है एक संग यहाँ पर।
बात करने का अलग अलग है ढंग  यहाँ पर।

©ALOK Sharma #Marriage
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ALOK Sharma

कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की।  
आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस समय से पहले ही मैं तैयार हो चुका था और अपनी फाइल को बैग में रख लिया था मन में खुशी और एक उल्लास था। 
इतनी शिद्दत और बहुत ही मेहनत से इस स्टोरी को मैंने लिखा था ईश्वर करे आज वह किसी भी हाल में सेलेक्ट हो जाए ताकि मैं अपने आने वाली राह को और आसान बना सकूं।  खुश था मैं।  तभी मेरे तैयार होते ही एक कॉल आया मैंने कॉल पिक किया जिसमें कम्पनी के एक एम्प्लोयी ने  बताया कि आज आपकी मीटिंग कैंसिल हो गई क्योंकि कंपनी को स्टोरी मिल चुकी है।  मैंने कहा कि एक बार हमारी स्टोरी को समझ लिया जाता तो.. सामने से बिना पूरी बात सुने जवाब आया सॉरी सर कंपनी ने इस बार की प्रोजेक्ट स्टोरी सेलेक्ट कर ली है सो प्लीज  एंड थैंक्स। फोन कट हो गया। मेरा मन उदास हो गया मैंने अपनी टाई को ढीला किया और शर्ट  की बटन को खोलते हुए  कोर्ट उतार कर हैंगर में टांग दिया।  बैग से स्टोरी को निकाला और उसको देखने लगा सारे पन्ने पलटते हुए पूरी स्टोरी को अपने हांथो से छूकर वापिस उसे बैग में रख दिया। थोड़ी राहत की सांस ली और खुद से कहा चलो कोई बात नहीं आगे देखा जाएगा।

©ALOK Sharma कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की।  
आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस समय से पहले ही मैं तैयार हो चुका था और अपनी फाइल को बैग में रख लिया था मन में खुशी और एक उल्लास था। 
इतनी शिद्दत और बहुत ही मेहनत से इस स्टोरी को मैंने लिखा था ईश्वर करे आज वह किसी भी हाल में सेलेक्ट हो जाए ताकि मैं अपने आने वाली राह को और आसान बना सकूं।  खुश था मैं।  तभी मेरे तैयार होते ही एक कॉल आया मैंने कॉल पिक किया जिसमें कम्पनी के एक एम्प्लोयी ने  बताया

कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की। आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस समय से पहले ही मैं तैयार हो चुका था और अपनी फाइल को बैग में रख लिया था मन में खुशी और एक उल्लास था। इतनी शिद्दत और बहुत ही मेहनत से इस स्टोरी को मैंने लिखा था ईश्वर करे आज वह किसी भी हाल में सेलेक्ट हो जाए ताकि मैं अपने आने वाली राह को और आसान बना सकूं। खुश था मैं। तभी मेरे तैयार होते ही एक कॉल आया मैंने कॉल पिक किया जिसमें कम्पनी के एक एम्प्लोयी ने बताया #story #ज़िन्दगी

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ALOK Sharma

पिता ने अपने 14 साल के बेटे के लिए दिन रात एक कर दिया। कई रिस्तेदारों ने भी मदद की लेकिन वह किशोर अपने जीवन के लिए लड़ता रहा। माँ का तो हाल बेहाल था जब उसने सुना कि इस बच्चे का बचना अब न मुमकिन है जब तक चल रहा है तब तक हमारी कोशिश जारी है। 
पिता ने बहुत सारा कर्ज भी ले लिया कि उसका बच्चा किसी तरह ठीक हो जाये और मन मे एक उम्मीद जगाये रहा। 
कुछ दिनों के लिए उसकी हालत में सुधार हुआ जिसके चलते ..डॉक्टर ने कहा कि अब उसे घर वापिस ले जा सकते हैं पिता और उसके घर वाले सभी खुश थे कि अब उनका बच्चा ठीक हो जाएगा और वह अपने बच्चे को खुशी-खुशी वापस घर ले आते हैं। 
कैंसर को हराना इतना आसान नही था, सबने अपनी तरफ से पूरी कोशिश पर शायद कुदरत को कुछ और ही मंजूर था । कुछ दिन तक तो उसकी हालत में सुधार रहता है परंतु एक दिन अचानक उसके सीने में दर्द उठता है उसके पिता उसे लेकर फिर से भागते हैं हॉस्पिटल की तरफ लेकिन  वह बच्चा हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही कैंसर से हारकर  दम तोड़ देता है और हमेशा के लिए सबको छोड़कर इस दुनिया से चला जाता।

©ALOK Sharma पिता ने अपने 14 साल के बेटे के लिए दिन रात एक कर दिया। कई रिस्तेदारों ने भी मदद की लेकिन वह किशोर अपने जीवन के लिए लड़ता रहा। माँ का तो हाल बेहाल था जब उसने सुना कि इस बच्चे का बचना अब न मुमकिन है जब तक चल रहा है तब तक हमारी कोशिश जारी है। 
पिता ने बहुत सारा कर्ज भी ले लिया कि उसका बच्चा किसी तरह ठीक हो जाये और मन मे एक उम्मीद जगाये रहा। 
कुछ दिनों के लिए उसकी हालत में सुधार हुआ जिसके चलते ..डॉक्टर ने कहा कि अब उसे घर वापिस ले जा सकते हैं पिता और उसके घर वाले सभी खुश थे कि अब उनका बच्चा ठीक हो जा

पिता ने अपने 14 साल के बेटे के लिए दिन रात एक कर दिया। कई रिस्तेदारों ने भी मदद की लेकिन वह किशोर अपने जीवन के लिए लड़ता रहा। माँ का तो हाल बेहाल था जब उसने सुना कि इस बच्चे का बचना अब न मुमकिन है जब तक चल रहा है तब तक हमारी कोशिश जारी है। पिता ने बहुत सारा कर्ज भी ले लिया कि उसका बच्चा किसी तरह ठीक हो जाये और मन मे एक उम्मीद जगाये रहा। कुछ दिनों के लिए उसकी हालत में सुधार हुआ जिसके चलते ..डॉक्टर ने कहा कि अब उसे घर वापिस ले जा सकते हैं पिता और उसके घर वाले सभी खुश थे कि अब उनका बच्चा ठीक हो जा #ज़िन्दगी #शॉर्टस्टोरी

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ALOK Sharma

ख़र्च कर दिए सारे रंग 
ख़ुद को बेरंग करके 
पर रास न आई तस्वीर 
देखने वाले को

©ALOK Sharma...✍️ ख़र्च कर दिए सारे रंग 
ख़ुद को बेरंग करके 
पर रास न आई तस्वीर 
देखने वाले को 

#selflove

ख़र्च कर दिए सारे रंग ख़ुद को बेरंग करके पर रास न आई तस्वीर देखने वाले को #selflove #शायरी

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ALOK Sharma

#Love
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ALOK Sharma

#life
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#Heart 
#nojohindi 
#Shayar 
#shayri 
#latest
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ALOK Sharma

#Life 
#no 
#Nojoto 
#nojotohindi
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ALOK Sharma

#Quotes
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ALOK Sharma

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ALOK Sharma

निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
नदी लिखूँ  या  सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ 
सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ 
न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई  शब्द  हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? 
पूजा लिखूँ या भक्ति लिख दूँ , ब्रह्मा लिखूँ या शक्ति लिख दूँ 
जन नही सकता सिवा तुम्हारे, पास नही . कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
माना कि  ये  लिखावट  मुझसे है..
पर इस क़लम में ताक़त तुझसे है 
स्वीकार  करो  मेरी ह्रदय भावना 
अंतर्मन से  निकली  जो खुदसे है !  
छोटा सा टुकड़ा हूँ तेरे ह्रदय का 
और पाया  तो ये जीवन तुझसे है 
आदि का पता नही अनन्त प्रेम है तेरा माँ    
हर शब्द तो है तुझसे, क्या शब्द लिखूँ माँ !

©ALOK Sharma...✍️ निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?

निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
नदी लिखूँ  या  सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ 
सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे !
निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ?
गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ 
न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई  शब्द  हमारे !

निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? नदी लिखूँ या सागर लिख दूँ, धरती लिखूँ या अम्बर लिख दूँ सब तो आगे हैं शून्य तुम्हारे, पास नही.. कोई शब्द हमारे ! निःशब्द हूँ क्या लिख दूँ माँ ? गुरु लिखूँ या भगवन लिख दूँ , इत्र लिखूँ या उपवन लिख दूँ न है दूजा जग में सिवा तुम्हारे, पास नही.कोई शब्द हमारे ! #Hindi #MothersDay #poem #कविता #nojotohindi #alok5star

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