Nojoto: Largest Storytelling Platform

उलझने बड़ी शिद्दतो के साथ गुजर रही है उनमें ठहरकर

उलझने बड़ी शिद्दतो के साथ गुजर रही है
उनमें ठहरकर अब एक शेर लिखता हूं ।

खुष्क होगया है लहू मेरा अरसे से
अपने ही शरीर पर अब  दर्द की लहर लिखता हूं ।

हमे दोबारा इश्क़ से ताल्लुक रखना था
पर पूराने इश्क़ से ..में ज़माने में कहर लिखता हूं ।

मेरी हसरतें इतना दौड़ाती है मुझे की जब भटक जाऊ
तोह मंज़िल के बदले में अपना  शहर लिखता हूं ।

यह दिल सेहेम गया है इस मसनुई लहज़े से 
अपनी राहत के लिए में शाम को दोपहर लिखता हूं ।

गिरकर जो उठता हूं कुछ लोग जलते बहुत है
इसकी वजह से .. में खुदको महर लिखता हूं ।

कलम की स्याही बेह रही बहुत है जज्बातों पर
लफ्जो से में गजल का अब आखरी बहर लिखता हूं ।

~आगम #aagambamb

#SilentWaves
उलझने बड़ी शिद्दतो के साथ गुजर रही है
उनमें ठहरकर अब एक शेर लिखता हूं ।

खुष्क होगया है लहू मेरा अरसे से
अपने ही शरीर पर अब  दर्द की लहर लिखता हूं ।

हमे दोबारा इश्क़ से ताल्लुक रखना था
पर पूराने इश्क़ से ..में ज़माने में कहर लिखता हूं ।

मेरी हसरतें इतना दौड़ाती है मुझे की जब भटक जाऊ
तोह मंज़िल के बदले में अपना  शहर लिखता हूं ।

यह दिल सेहेम गया है इस मसनुई लहज़े से 
अपनी राहत के लिए में शाम को दोपहर लिखता हूं ।

गिरकर जो उठता हूं कुछ लोग जलते बहुत है
इसकी वजह से .. में खुदको महर लिखता हूं ।

कलम की स्याही बेह रही बहुत है जज्बातों पर
लफ्जो से में गजल का अब आखरी बहर लिखता हूं ।

~आगम #aagambamb

#SilentWaves