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aagambamb7452
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aagam_bamb

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aagam_bamb

जज़्बातों को मेरे पैग़ाम पोहोचता है क्या
दिल तू ही बता क़ासिद असल में होता है क्या

मुद्दतों से आसमान देखा नही, सर झुकाए खड़ा है
यह बता क्या तेरा गिरेबान इतना मैला हो चुका है क्या 

मंदिरों के चक्कर लगाए रहता है सुबह शाम में 
यह खुदा तेरी हर बात रोज रोज सुनता है क्या 

गली मोहल्ले में बड़ा मुस्कुराए घूमता रहता है
अपने चेहरे से तू इतना गम छुपाता है क्या

हर अनजान को उनकी राह दिखाते रहता है
बिना इश्क के इंसान इतना तन्हा होता है क्या

बड़े सुर्ख़ियों में थे उसके ख्वाब चंद लम्हों के लिए
अब नाकामियाब है तो फिरसे उसके चर्चे होते है क्या

आजकल सुना है सबसे हम दर्दी जताने लगा है
'आगम' क्या तू वाकई इतना तन्हा होता है क्या

~आगम

©aagam_bamb #walkalone

7 Love

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aagam_bamb

एक मौसम अपने अंदर कर आया हु
जो भी जज़्बात थे उन्हें जब्त कर आया हु

बेफिक्री के पल बड़े याद आते हो वोह
जबसे खुदको उनसे जुदा कर आया हु 

मे फ़कीर मुसलसल खुशनुमा रेहेता था
अब मायुस हु, जबसे खुदको अमीर कर आया हु

बड़ी उलझनों से चंद अल्फाज निकलते है 
यह में ही हु या में खुदको कोई और कर आया हु

सुना है जमाने से एक हुनर कर आया हु, जबसे 
सुलझा हु तबसे तन्हाई में अपना घर कर आया हु

यह मंजिल भी लापता है मेरे कलम की जो अब 
गजलों के खातिर हर पन्नों पर में 'आगम' कर आया हु

~आगम

©aagam_bamb #citylight

10 Love

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aagam_bamb

एक शाम दिलचस्प मंजर के नाम कर आया 
चीख उठे सारे ख्वाब जब कुछ काम कर आया

यह बुलंदियों की माला कुर्बान रातों से, जलते धूप
से सीची है, जो आज पूरी आराम-ए-श्याम कर आया

हर निगाहों के नजर से खुदको भूल गया था वो शक्स 
आज इतना ऊंचा है की हर निगाह में मकाम कर आया

न कोई आगे न कोई पीछे था वो जो उपर से देख रहा था
वो भी इस कहानी के किरदार को झुकके सलाम कर आया

हर मोड़ सफर का अहम था जिन्दगी के लिए जो हर अधुरा
ख्वाब टूटकर ही 'आगम' को जमाने में, तमाम कर आया 

~आगम

©aagam_bamb #Light

8 Love

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aagam_bamb

मुआयना रंग देखकर करता है जमाना
वरना हर मोहल्ले में कौवा मशहूर होता
~आगम

©aagam_bamb

9 Love

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aagam_bamb

हर कहानी के कीरदार का मरकज बन जाता हु
वोह ख़ास है सोचकर में तरकश बन जाता हु

कुर्बत इंसानों से, समझदारी से कर नादान-ए-दिल
वरना हिज्र में हर बार, में ही पत्थर बन जाता हु

यह शाम आंखों से देखती है और सब छुपाती है
इतना नजरे चुराती है की बार बार लाश बन जाता हु

यह उम्मीद रिश्ते की टिकी हुई है दबे हुए अधरों पर
जहां में अपने लफ्जों की ख़ामोशी रख, घर बन जाता हु

कासिद हर फासला मिटाता है कौवों से, कबूतरों से
जो हर बार में उसके छत का छोटा सा दाना बन जाता हु

एक शक्स को यादों के सहारे हर शब जहन में उतारता हु
में इतना बर्बाद होता हु की हर शब शराब बन जाता हु

'आगम' भीड़ में रहना दरिया से भी होता है मुश्किल, की
अरमानों को कुचलकर हर रोज खुदका खुदा बन जाता हु

~आगम

©aagam_bamb #Love

8 Love

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aagam_bamb

इश्क के दौड़ में हमेशा अव्वल होता हु
सारी हदें पार कर लेता हु
बस एक इजहार का दरिया पार नहीं होता

यह मुसलसल कहानी का अंजाम जानता हु
मगर फिर भी वो टूटा हुआ किरदार निभा लेता हु

जब बारिश बरसती है
 में उसका छाता बन कर ,खुद बुंदों से भीग जाता हु

वो गुमान है मेरे वजूद का ..
वो ख्वाब है हर शब का
वो आइना है मेरे तबस्सुम का
वो मिट्टी है मेरे दरख़्त का
वो चांद है मेरे हिस्से का
वो सूरज है मेरे रोशनी का..
वो इश्क है मेरे अधूरे इश्क का
वो मुक्कमल है मेरे धड़कनों का

यह शेर सारे लिखकर छोड़ देता हु
जैसे हर बार उससे इजहार करना छोड़ देता हु

~आगम

©aagam_bamb #Rose

12 Love

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aagam_bamb

पटरी सा में ता उम्र उसका बोझ सहने को तैयार था
मगर उसके रेल की मंजिल किसी और पटरी पर जा मिली
~आगम

©aagam_bamb #Past

8 Love

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aagam_bamb

दुआ अगर कबूल होती है तो हम यह दुआ करते है
की मेरे प्यार को अपना प्यार मुक्कमल मिल जाए 
~आगम

©aagam_bamb

12 Love

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aagam_bamb

बेहद झूठों से खुदको हर शब सुला देता हु
तेरी नजरों का तसव्वुर आंखों में उतार देता हु

बेरंग छत पर एक तस्वीर का आगाज़ होता है
जब भी पलके झपकती है तुझे यही सुला देता हु

ख़बर भी आजकल अंधी होगई है.. सुर्खियों में 
रहने लगती है जब भी तेरा नाम पन्नों पर उतार देता हु

रजाई लगती है इश्क-का-लहज़ा मेरे बदन पर, इतना 
कसके पकड़ता हु की उसे ख्वाबों में गले लगा लेता हु

तकिया उसकी गोद बनने लग गया है इन दिनों
में जब भी तन्हा होता हु उसपर ही सर रख देता हु

में हर शाम उसके नाम पर बर्बाद कर देता हु
हर सर्द रातों में इन्ही झूठों से खुदको सुला देता हु

फिर हर सुबह उसे मुस्तकबिल मंजिल बना जाता हु
मौजूदा वो कोन है किसे खबर, जिसे में अपना सब 
कुछ बता देता हु

एक तरफा इश्क है जो कड़वा है मगर में उसे
बेहद हसीन झूठों में तब्दील कर लेता हु

मुसलसल इश्क का किनारा ढूंढता है जब भी
वो आती में तहजीब से किनारा छोड़ देता हु

उसके तबस्सुम से गुजारा हो जाता है जिंदगी का
रंज का सैलाब क्यों न हो उसके नाम की कश्ती से

खुदको हर शब इस झूठे रिश्ते से सुला देता हु
उसको जहां बनाकर पूरा जहां भुला देता हु

~आगम

©aagam_bamb #nightthoughts
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aagam_bamb

अक्सर जिससे दिल लगता है वोह शक्स मय्यसर नही होता
में कतरा कतरा होजाता हु मगर वोह मेरा बूंद भी नही होता
आशिकी की तफ्सील करता है जमाने में और खुद तन्हा है
याद रखो... जमाने वालों....
वोह जो मोहब्बत पर लिखता है वो शक्स मोहब्बत वाला नही होता
क्योंकि
अक्सर जिससे दिल लगता है वोह शक्स मय्यसर नही होता 
~आगम

©aagam_bamb #Flower

9 Love

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