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तुम जैसे खुद हो वैसे ही दूसरों को भी समझते हो, पता

तुम जैसे खुद हो वैसे ही दूसरों को भी समझते हो,
पता नहीं तुम क्यों अधजल गगरी सा छलकते हो,
पीठ पीछे मैंने तुम्हारें मुख से अपनी बुराई सुनी है,
गलत खुद हो और तुम मुझको गलत समझते हो।

     आदित्य यादव उर्फ़
  "कुमार आदित्य यदुवंशी"✍️

©Aditya Yadav
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