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कश्ती का मुसाफ़िर हूँ उस पार उतरना है, मल्लाह के ह

कश्ती का मुसाफ़िर हूँ उस पार उतरना है,
मल्लाह के हाथों में जीना और मरना है ।

जीना है समंदर के सीने से लिपट जाना,
साहिल की तरफ बढ़ना जीना नहीं मरना है ।

घर छोड़ के जाना तुम गर छोड़ दे घर तुमको,
तारों का निकलना ही रातों का सँवरना है ।

महबूब के चेहरे में है भोलापन कितना,
बस आँख में बस जाऊँ मेरा यही सपना है ।

घर दुनिया नहीं मेरी, दुनिया है घर मेरा,
हद-बेहद दोनों के तूफ़ाँ से गुजरना है ।

दिल की तुझे कह डालूँ, फिर तेरी सुनूँ तुझसे,
राजेश रिषि होकर हमको क्या करना है ।
© राजेश चड्ढा Happy Birthday Rajesh Chaddha Ji
कश्ती का मुसाफ़िर हूँ उस पार उतरना है,
मल्लाह के हाथों में जीना और मरना है ।

जीना है समंदर के सीने से लिपट जाना,
साहिल की तरफ बढ़ना जीना नहीं मरना है ।

घर छोड़ के जाना तुम गर छोड़ दे घर तुमको,
तारों का निकलना ही रातों का सँवरना है ।

महबूब के चेहरे में है भोलापन कितना,
बस आँख में बस जाऊँ मेरा यही सपना है ।

घर दुनिया नहीं मेरी, दुनिया है घर मेरा,
हद-बेहद दोनों के तूफ़ाँ से गुजरना है ।

दिल की तुझे कह डालूँ, फिर तेरी सुनूँ तुझसे,
राजेश रिषि होकर हमको क्या करना है ।
© राजेश चड्ढा Happy Birthday Rajesh Chaddha Ji
blparas9640

B.L. Paras

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Happy Birthday Rajesh Chaddha Ji #शायरी