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तेरे लिए फूलों की राह बनायी तो थी, तेरे इंतजार में

तेरे लिए फूलों की राह बनायी तो थी,
तेरे इंतजार में पलके भी बिछाई थी।
न जानें तू किस राहों में इंतजार करती रही
गैरो का .......
वो बदल गए एक मोड़ पे आकर,
हमारी राहों के फूल भी सूख गए हमे रूलाकर।
तू सुनसान राह देखकर मुड़ गई,
भूल गई की मेरी राह में भी पतझड़ आयी थी।
एक बात मुझे सिखा गई...
वक्त जरूर बदलता है,
नए पत्तो के लिए पुराने को पहले झड़ना पड़ता हैं।
हमने आज भी नजरे ना हटायी थी,
खिल गए हरचारों ओर फूल,
सावन भी वर्षा लाई थी।

©आधुनिक कवयित्री
  इंतजार.........

इंतजार......... #शायरी

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