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इश्क़ की तपिश, दिल के बर्फ को पिघलाती है इश्क़ की

इश्क़ की तपिश, दिल के बर्फ को पिघलाती है 
इश्क़ की तपिश, एक पत्थर को इंसान बनाती है।

इश्क़ के बिना किसकी ज़िन्दगी मुकम्मल हुई है 
प्रभात के मंद समीर बिना भी कभी कली खिली है।

तपिश को इतना न बढाओ कि, 
एक रिश्ते में वह ज्वाला बनजाए।

किसीके प्यार की इतनी परीक्षा न लो कि, 
वह इंसान फिर पत्थर बन जाए।

©Subhalakshmi Pattnaik #इश्ककीतापिश #इश्क #ज्वाला
इश्क़ की तपिश, दिल के बर्फ को पिघलाती है 
इश्क़ की तपिश, एक पत्थर को इंसान बनाती है।

इश्क़ के बिना किसकी ज़िन्दगी मुकम्मल हुई है 
प्रभात के मंद समीर बिना भी कभी कली खिली है।

तपिश को इतना न बढाओ कि, 
एक रिश्ते में वह ज्वाला बनजाए।

किसीके प्यार की इतनी परीक्षा न लो कि, 
वह इंसान फिर पत्थर बन जाए।

©Subhalakshmi Pattnaik #इश्ककीतापिश #इश्क #ज्वाला