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अधूरा हूँ मैं अपनों का साथ माँगता हूँ जो जहां नचाए

अधूरा हूँ मैं अपनों का साथ माँगता हूँ
जो जहां नचाए मुझे, मैं वहां नाचता हूँ

झूट फ़रेब का साया मंडराता रहता है 
बदनाम हूँ, अपनी बदनामी ढ़ाकता हूँ

मैं प्यार, ढाई  अक्षर का दायरा है मेरा 
खुशी और ग़म...दोनों मैं ही बांटता हूँ

ना मिलता किसी को... मिल जाता हूँ 
जान लेता, ख़ुद को क़ातिल मानता हूँ
 
कुछ झूठे  मुझ में, कुछ  सच्चे बस्ते है 
बात नही सुनते वो, सबको जानता हूँ  ♥️ Challenge-966 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
अधूरा हूँ मैं अपनों का साथ माँगता हूँ
जो जहां नचाए मुझे, मैं वहां नाचता हूँ

झूट फ़रेब का साया मंडराता रहता है 
बदनाम हूँ, अपनी बदनामी ढ़ाकता हूँ

मैं प्यार, ढाई  अक्षर का दायरा है मेरा 
खुशी और ग़म...दोनों मैं ही बांटता हूँ

ना मिलता किसी को... मिल जाता हूँ 
जान लेता, ख़ुद को क़ातिल मानता हूँ
 
कुछ झूठे  मुझ में, कुछ  सच्चे बस्ते है 
बात नही सुनते वो, सबको जानता हूँ  ♥️ Challenge-966 #collabwithकोराकाग़ज़

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krishvj9297

Krish Vj

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