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मेरे अलमारी में रखे किताबें बताएं मैं चाहता हूं

मेरे अलमारी में रखे 
किताबें बताएं 
मैं चाहता हूं , उम्र मेरी ।

कितनी किताबें सिरहने 
रात - साथ सोती रही हैं
कितनों ने इस पत्थर हृदय का
विरेचन कराया 
कितनों ने की संग में 
मीलों की यात्राएं 
किलोमीटर में आंका जाय 
मैं चाहता हूं , उम्र मेरी ।

और जो ये पन्ना मुड़ा है 
क्या जिंदगी बार बार इसे दोहराती रही है ?
या कि है संभावना 
आगे पढ़उंगा फिर कभी ??
या कि एक युक्ति है 
मेरे पुनर्जन्म की ???

उस पर पड़े धूल 
इस बात के सूचक भी हैं
कि जी नहीं है मैंने 
एक उम्र से ,उम्र मेरी ।

मेरे अलमारी में रखे 
किताबें बताएं 
मैं चाहता हूं , उम्र मेरी ।

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  #उम्र_मेरी