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हाँ , प्रमाण है मेरी नासमझी का , मैं स्वयं को समझद

हाँ , प्रमाण है मेरी नासमझी का ,
मैं स्वयं को समझदार नहीं समझती,
मैं उन जालसाजिशों , उन विवादों ,
से स्वयं को उझाने से बचती हूँ ,
तर्क पर तर्क देना , 
द्वन्द या प्रतिस्पर्धा 
जैसे शब्द मेरी वैचारिक परिवेश का 
हिस्सा नहीं बन पाते ,
मैं स्वयं को चतुर-चालक,
अधिक वाचाल या चंचल नहीं समझती,
मुझमे समाज को समाजिक नजरिये से
परखने की शक्ति क्षीण है ,
हाँ मैं तनिक भावुक हूँ , 
मैं समाज के बनाये कायदे कानून पर खरी नहीं उतरती ,
या ये समाज उन्ही रूढ़िवादी विचार धारा में
 स्वयं को बंधे रखना चाहता है ,
मेरा ,समाज को देखने का दृष्टिकोण थोड़ा सा अलग है, 
मुझे भीड़ से ज्यादा एकांत पसंद है, 
हाँ शायद मैं अपना अधिकतर समय
 बड़े-बूढ़ो के बजाय बच्चों को देती हूँ ,
इस प्रकार मैं लोगो की नजरों में नासमझ ही कहलाती हूँ |
SONAMKURIL #समझदार #प्रमाण  
aman6.1 Akhilesh Kumar
हाँ , प्रमाण है मेरी नासमझी का ,
मैं स्वयं को समझदार नहीं समझती,
मैं उन जालसाजिशों , उन विवादों ,
से स्वयं को उझाने से बचती हूँ ,
तर्क पर तर्क देना , 
द्वन्द या प्रतिस्पर्धा 
जैसे शब्द मेरी वैचारिक परिवेश का 
हिस्सा नहीं बन पाते ,
मैं स्वयं को चतुर-चालक,
अधिक वाचाल या चंचल नहीं समझती,
मुझमे समाज को समाजिक नजरिये से
परखने की शक्ति क्षीण है ,
हाँ मैं तनिक भावुक हूँ , 
मैं समाज के बनाये कायदे कानून पर खरी नहीं उतरती ,
या ये समाज उन्ही रूढ़िवादी विचार धारा में
 स्वयं को बंधे रखना चाहता है ,
मेरा ,समाज को देखने का दृष्टिकोण थोड़ा सा अलग है, 
मुझे भीड़ से ज्यादा एकांत पसंद है, 
हाँ शायद मैं अपना अधिकतर समय
 बड़े-बूढ़ो के बजाय बच्चों को देती हूँ ,
इस प्रकार मैं लोगो की नजरों में नासमझ ही कहलाती हूँ |
SONAMKURIL #समझदार #प्रमाण  
aman6.1 Akhilesh Kumar
sonamkuril1938

Sonam kuril

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