बेमानी है सच कहना तो बोलो झूठ और ऐश करो। ला-यानी है यूं बहना तो बोलो झूठ और ऐश करो।। , तुमको अब तक याद है वादे काहे पागल बनते हो। छोड़ो हरदम वादे रटना बोलों झूठ और ऐश करो।। , सच का दामन थामोगे तो जख़्मी तुम हो जाओगे। सच्ची बातें कौन सुनेगा बोलों झूठ और ऐश करो।। , तुमको तो मालूम ही होगा सच्चो का क्या हश्र हुआ। झूठो का ही राज चलेगा बोलों झूठ और ऐश करो।। , ताज्जुब है न हम क्यूँ ऐसा लिखने पे मजबूर हुए। छोड़ो हमनें क्या क्या देखा बोलों झूठ और ऐश करो।। , जिस हद तक हम जा सकतें थे उसपे ही तो पहुँचे है। पर आखिर में हम क्या बोलें बोलों झूठ और ऐश करो।।