चार दोस्तों की मण्डली भा गई सबके मन कभी पढ़ाई कभी लड़ाई मिलकर करते एक पै चढ़ाई चाय हो या नास्ता मिलकर करते दिल की दास्तां दोस्ती की गहराई दिल कभी नहीं भर पाई बातों बातों में भूल पढाई करते सबकी खूब हंसाई सोचा कभी बिछड़ ना पाएं मजबूरी सबको खींच ले गई क्या ज़माना है यारों दूर होते ही भूले यारी कभी कभी होता है मिलना फिर भी बना लेते हैं बहाना दलपत कभी रूठ नहीं पाया राठौड़ कभी समझ नहीं आया स्वरूप मन का कोमल था किशन बड़ा दयालु भाटीयों की है कहानी निराली दोनों हैं दिल के करीबी सोढा तेरी समझदारी कर गई सबसे मलाल हर मोड़ पे बदलता है रास्ता हर दिन बदलता है मौसम चार महीनों की दोस्ती कुछ पल में बिखर गई कुछ पल यूं फिदा कर गये हमेशा के लिए जुदा कर गए खुमाण सिंह ©Khuman Singh #friends