Nojoto: Largest Storytelling Platform

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर

सोरठा :-
सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।
नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का ।
करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।।

महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे ।
गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।।

हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी ।
फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सोरठा :-


सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।

नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।
सोरठा :-
सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।
नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

लियो मजा तुम खूब , सदा पक्की सड़को का ।
करना क्या है आज ,  पहाड़ो औ झरनों का ।।

महल बने फिर चार ,  वृक्ष हो बिल्कुल छोटे ।
गेंदा चंपा छोड़ , वृक्ष सब लगते खोटे ।।

हँसते घूंघट काढ , दिखे सारी बत्तीसी ।
फल कर्मो का आज, निकाले सबकी खीसी ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सोरठा :-


सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता ।

नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।।

सोरठा :- सूर्यदेव का ताप , नित्य ही बढता जाता । नर नारी सब आज , नजर घूंघट में आता ।। #कविता