White खुद ही बनाया और बिगाड़ा तकदीरों को मैं मानता नहीं हाथ की लकीरों को। महलों में रहें या कभी हों बेघर फर्क पडता है कब फकीरों को। कर्म अपने का फल मियाँ भोगो कोसते क्यों हो भला तकदीरों को। दुख गरीबों को ही बस नहीं होते खुशियाँ मिलती नहीं सब अमीरों को। ©Deepbodhi #love_shayari badmash shayari Aaj Ka Panchang love shayari attitude shayari shayari love