थोड़ी बूझे थोड़ी जले, थोड़ी आस, बस आप की तलाश, पूरा दिन गुजरा शाम भी ढली, मेरी आंखें तके तेरा ही दीदार, दिल भी तरसे तेरे एहसास को, के कब दस्तक होगी तेरी, शाम भी ढली तू भी बेपरवाह हुई, अब हम क्या करें, ये चाय भी ठंडी हुई। ये हेश्टेग कभी ना हटाएं... આ હેશ્ટેગ લગાવનું કદી ના ભુલતા... #gujaratiwriters_हिन्दीआलेखन_आज_की_शाम ઊપર આપેલા ચિત્ર ને આપના સુંદર શબ્દો થી સજાવવા વિનંતી. ऊपर दिए गए चित्र को आपके सुंदर शब्दों से सजाने के लिए विनती है ।