*धैर्य धरो घबराओ नहीं*,,,, रात है,दिन भी आएगा जीवन फिर से खिल जायेगा पुष्प पुनः महक उठेंगे पक्षी पुनः चहक उठेंगे खेतो में हरियाली आएगी चेहरों पे लाली आएगी पूरे साहस से इस रात्रि को पार करो इस तरह आंसू बहाओ नही प्रिय धैर्य धरो घबराओ नहीं जीवन हेतु ये शिक्षा है जन जन की अग्नि परीक्षा है पूरी लगन से इसको पार करो जीवन की कठिन चुनौती को तुम हृदय से स्वीकार करो कायरो की भांति तुम आगे इसके झुक जाओ नहीं प्रिय धैर्य धरो घबराओ नहीं दुर्बल पद पर तपते पथ हैं अंग अंग भय से लथपथ हैं हर शख्स भय से हताहत है तुम निडरता से भय को पार करो साहस से भय का संहार करो भय से तुम ऐसे डर जाओ नहीं प्रिय धैर्य धरो घबराओ नहीं तुम मानव हो ,भयभीत न हो लड़ो तब तक,जब तक जीत न हो,,, तुम आज ही अपना कल लिख दो,,, हर मुश्किल का हल लिख दो अब उठो और चलते चलो डर के भय से रुक जाओ नही प्रिय धैर्य धरो घबराओ नहीं, *शिवम् शर्मा (देवा)* ©shivam sharma poem #Smile