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इन खिलौनो से अब मेरी गुजर होगी नहीं, शब-ऐ-गम है इश

इन खिलौनो से अब मेरी गुजर होगी नहीं,
शब-ऐ-गम है इश्क, इस इश्क की सहर होगी नही!

बेतकल्लुफी से उसका नाम खुद से जोड़ता हूँ,
अब किसी और नाम से इस दिल की महर होगी नही!

शब-ऐ-गम में जो चांदनी से इकरार कर बैठा,
अब सितारों के टूटने से कहर होगी नही!

किसी के इश्क में दुनिया बना ली थी मैंने,
अब किसी के गोद मे दहर होगी नहीं!

इन खिलौनों से अब मेरी गुजर होगी नही!! शब-ऐ-गम   -दुख की रात
सहर  - सुबह
महर  - खुश होना
कहर  - दुःख
दहर  -दुनिया
इन खिलौनो से अब मेरी गुजर होगी नहीं,
शब-ऐ-गम है इश्क, इस इश्क की सहर होगी नही!

बेतकल्लुफी से उसका नाम खुद से जोड़ता हूँ,
अब किसी और नाम से इस दिल की महर होगी नही!

शब-ऐ-गम में जो चांदनी से इकरार कर बैठा,
अब सितारों के टूटने से कहर होगी नही!

किसी के इश्क में दुनिया बना ली थी मैंने,
अब किसी के गोद मे दहर होगी नहीं!

इन खिलौनों से अब मेरी गुजर होगी नही!! शब-ऐ-गम   -दुख की रात
सहर  - सुबह
महर  - खुश होना
कहर  - दुःख
दहर  -दुनिया

शब-ऐ-गम -दुख की रात सहर - सुबह महर - खुश होना कहर - दुःख दहर -दुनिया