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Alone साथी कब कैसे और कहां मिल जाए किसे क्या पता

Alone  साथी कब कैसे और कहां मिल जाए किसे क्या पता होता है
वक़्त कभी हमारे तो कभी आपके सामने आईना रखता है
कोई कैसे उसकी मुस्कान से आगे निकल जाता है
मैं तो जब भी उसे देखता हूँ मेरा वक़्त बस वहीं ठहर जाता है
 उसकी मुस्कान कितनी हसीं है उसे ये बताना भी होता है सामने वाला आपके लिए कितना अजीज है उसे ये जताना भी होता है
लोगों को कहीं मालूम ना हो जाए कि हम दोस्त भी हैं 
इसलिए कभी - कभी उसे डांटना भी होता है
उसकी सुर्ख़ होठों पर मुस्कान हमेशा बनी रहे
 इसलिए ख़ुद को उसके रंग में ढालना भी होता है l

©akshat tripathi #mypoetry #zindgiii #love #sathi #muskan #dosthi #Friendship #friends #rishte 

#alone
Alone  साथी कब कैसे और कहां मिल जाए किसे क्या पता होता है
वक़्त कभी हमारे तो कभी आपके सामने आईना रखता है
कोई कैसे उसकी मुस्कान से आगे निकल जाता है
मैं तो जब भी उसे देखता हूँ मेरा वक़्त बस वहीं ठहर जाता है
 उसकी मुस्कान कितनी हसीं है उसे ये बताना भी होता है सामने वाला आपके लिए कितना अजीज है उसे ये जताना भी होता है
लोगों को कहीं मालूम ना हो जाए कि हम दोस्त भी हैं 
इसलिए कभी - कभी उसे डांटना भी होता है
उसकी सुर्ख़ होठों पर मुस्कान हमेशा बनी रहे
 इसलिए ख़ुद को उसके रंग में ढालना भी होता है l

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