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आँखों में सपने लाखों पले थे। ख्वाहिशों के दौरां हम

आँखों में सपने लाखों पले थे।
ख्वाहिशों के दौरां हम खामोश खड़े थे।।
उम्र का जोश और माँ बाप की चाहतें।
कोसों चले मगर आज तन्हा पड़े हैं।।

©Shubham Bhardwaj
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