निज मन को तू उपहार दे, निज खोज को तू विस्तार दे! निज तन को तू उपहार दे, पश्चिमी परिधान उतार दे, रंगीन पगड़ियाँ करे पुकार, उठा सिर व कुछ संवार ले ! निज मन को तू उपहार दे, पश्चिमी सोच को बिसार दे, ॐ जाप कर रहा पुकार, उठा राग व तू भी पुकार ले ! निज जन को तू उपहार दे, पश्चिमी कल्चर को त्याग दे, वेद सभ्यता करे पुकार, उठा वेद व कुछ उच्चार दे ! निज धन को तू उपहार दे, पश्चिमी बंजर भू तिरस्कार दे, वसुधा तेरी करे पुकार, उठा हल व कुछ पसार ले ! निज मन को तू उपहार दे, पश्चिमी रोग फटकार दे, पवन किरणे करे पुकार, उठा तन व कुछ स्वीकार ले ! निज मन को तू उपहार दे, पश्चिमी मान को निकाल दे, भागवत कथा करे पुकार, उठा ध्वज व कुछ अधिकार ले ! कवि आनंद दाधीच, भारत ©Anand Dadhich #motivationalpoems #Inspiration #geet #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindipoetry #eveningthoughts #writer