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शीर्षक- हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे -----

शीर्षक- हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
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हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे।
करता नहीं अब कोई बात, आखिर यहाँ क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी-----------------------।।

दौड़कर आते थे कल वो, देखकै मुझको लगाने गले।
अब मोड़ लेते हैं राह वो, नहीं मिलने को क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी------------------------।।

कभी साथ उनका मैंने दिया था, और खुशी भी उनको।
अब पूछते नहीं हाल मेरा वो, पास आकर क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी------------------------।।

मैं करता था दुहा हमेशा, उनकी खुशी- हंसी के लिए।
लेकिन वो करते हैं नफरत, आखिर अब क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी------------------------।।

उनकी खबर सुनकर आया मैं, उनको लेने अपने घर।
देखकर मुफलिसी मेरी, मिलाते नजर नहीं क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी-------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन
शीर्षक- हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे
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हो गए अब अजनबी, यहाँ सभी क्यों मुझसे।
करता नहीं अब कोई बात, आखिर यहाँ क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी-----------------------।।

दौड़कर आते थे कल वो, देखकै मुझको लगाने गले।
अब मोड़ लेते हैं राह वो, नहीं मिलने को क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी------------------------।।

कभी साथ उनका मैंने दिया था, और खुशी भी उनको।
अब पूछते नहीं हाल मेरा वो, पास आकर क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी------------------------।।

मैं करता था दुहा हमेशा, उनकी खुशी- हंसी के लिए।
लेकिन वो करते हैं नफरत, आखिर अब क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी------------------------।।

उनकी खबर सुनकर आया मैं, उनको लेने अपने घर।
देखकर मुफलिसी मेरी, मिलाते नजर नहीं क्यों मुझसे।।
हो गए अब अजनबी-------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #ग़ज़ल_सृजन